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अपने बच्चे को उनके झुकाव के अनुसार उठाएं

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अपने बच्चे को उनके
 
झुकाव के अनुसार उठाएं



जवान बच्चों के लिए 


आज का हमारा ये आर्टिकल बड़े बच्चो के लिए है और इसे सभी माँ - बाप किसी एकांत वाली जगह में बैठकर पढ़ें और अपने बच्चों की देखभाल और भी अच्छी तरह से करें। 





आज के इस तकनीकी युग में बच्चे बहुत आगे निकल गए हैं। जो चीज़ उनके माँ-बाप को देखने में पच्चीस, तीस या पचास साल लगे, उन चीज़ों को बच्चों ने छह-सात साल की आयु में ही देख लिया और इस्तेमाल करना भी सीख लिया जैसी कि मोबाइल, लैपटॉप और अन्य प्रकार के मशीनी उपकरण। आज अगर बच्चों ने बाहर किसी अजीब चीज़ का नाम सुना तो वो उसे अपने माँ -बाप से पूछने की बजाये Google से पूछेंगे। जैसे उनको उनके माँ - बाप ने पैदा ना करके Google ने ही किसी वेबसाइट के ज़रिये धरती पर भेजा हो। ऐसे में बच्चों की कोई ग़लती नहीं है।ये सब कुछ निर्भर करता है कि आपने अपने बच्चों को डराकर बड़ा किया है या समझाकर या फ़िर दोनों तरीकों से। आजकल बहुत सी चीज़ें आम हैं।मेरा मतलब यहाँ 'आम' Mango से नहीं है।मेरा मतलब है वो सभी तरह के निर्णय जो हमें बच्चों को लेना सिखाना चाहिए, वो सारे निर्णय लेने का अधिकार हमने, आपने और हर माँ-बाप ने अपने पास सुरक्षित रखा हुआ है जैसी शादी का फ़ैसला, आगे जाकर क्या बनना है, कैसे विषय पर पढ़ाई करनी है वगैरह-वगैरह। इस तरह बच्चों को मत बांधिए, क्यूंकि बंधा हुआ हर व्यक्ति आज़ादी ही चाहता है। वो आपको ये नहीं कहेगा कि उसे और ज़्यादा रस्सियों से बांध दीजिये क्यूंकि उसे आज़ाद रहना है आपकी क़ैद में नहीं।इसी तरह बच्चे भी माँ-बाप द्वारा उनकी ज़िन्दग़ी महत्वपूर्ण निर्णय अपने पास सुरक्षित रखने पर ख़ुद को एक क़ैदी ही समझते हैं जो अपनी ज़िन्दग़ी के महत्वपूर्ण फ़ैसले ख़ुद नहीं ले सकते। वो एक घर रुपी क़ैदख़ाने में रह रहे हैं। यही सबसे बड़ा कारण है जो आज बच्चे अपने माँ - बाप को, माँ- बाप नहीं समझते। एक बाप को अपने बेटे से हर तरह की बात करनी चाहिए और एक बेटे को अपने बाप से। इसी तरह का रिश्ता एक माँ और बेटी के बीच होना चाहिए। इसे आपके जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन आएगा और आप हमेशा अपने बच्चों की तरफ़ से निश्चिंत रहेंगे। 


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बच्चों को ये ना महसूस होने दें कि आप उनके माता-पिता हैं। यहाँ मेरा मतलब ये भी नहीं है कि आप अपने बच्चों को माता-पिता का सुख़ ना दें। देखिये रोज़-रोज़ आलू की सब्ज़ी भी आप नहीं खा सकते चाहे आलू आपके कितना भी पसंद हों। उसी तरह आपके बच्चे आपको हमेशा अपने माँ - बाप के रूप में देखना नहीं पसंद करते। वो ये भी चाहते हैं कि उनके माता-पिता उनके साथ एक दोस्त जैसा या एक सहेली जैसा व्यव्हार भी करें, और अग़र आप ऐसा नहीं करते, तो बच्चे इन सारी चीज़ों को, अपने अरमानों को बाहर कहीं से पूरा करने की सोचते हैं और अपने दोस्त बनाते हैं। हमेशा उनके साथ इस तरह रहिये जैसे घर में भाई-बहन रहते हैं। माँ-बाप का डर होना ज़रूरी है मग़र सिर्फ़ डर ही होना चाहिए ये ज़रूरी नहीं है। जब कभी आपको लगे कि आप अपने बच्चों को डांटकर सीधा कर सकते हैं तो एक बार आप अपने बचपन या जवानी के दिनों को याद कर लीजियेगा, आपको इस सवाल का उत्तर मिल जायेगा। अपने जवान बच्चों के साथ दिन में कम से कम दो घंटे बैठकर उनसे विचार-विमर्श ज़रूर कीजिये। इससे क्या होगा कि इस क्रिया को लगातार करने से आपके बच्चों के दिमाग़ में एक बात बैठ जाएगी कि आप उनकी निजी ज़िन्दग़ी का बहुत ख़ास तरीके से ख़्याल रख रहे हैं। अपने बच्चों पर कभी दबाओ मत डालिये, सिर्फ़ उन्हें उनकी ग़लती का एहसास करवाईये। आप इन सब चीज़ों का अपने बच्चों की ज़िन्दग़ी में और अपनी ज़िन्दग़ी में एक अच्छा और पर्याप्त असर देखेंगे। 


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अश्लील क्रियाएं करने से 

बच्चों को रोकना 



देखिये, आपने जो काम करके अपने बच्चों को ख़ुद पैदा किया है आप उन कामों को बच्चों को करने से नहीं रोक सकते और आप ये भी नहीं कह सकते कि ये काम करना ग़लत है। ये एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है ना कि अश्लील मुद्दा। जैसे-जैसे बच्चों में आयु बढ़ती है वैसे-वैसे बच्चों में बुद्धि का भी विकास होता है और उसके साथ नए विचारों का जन्म होता है। अब अग़र आप अपने बच्चों के साथ दिन में दो घंटे बिताएं और अपने बचपन की सारी बातें उनके साथ साँझा करें तो वो आपको अपने दिल की सारी बातें बता देंगे। वर्ना मैंने जो पहले कहा, वो इन सारे उत्पन्न नए विचारों को अपने दोस्त और सहेलियों के साथ साँझा करेंगे क्यूंकि आपने उनसे उनकी बढ़ती उम्र में आये हुए परिवर्तन के बारे में कभी पूछा ही नहीं। इसी वजह से ज़्यादातर बच्चे ग़लत कामों में अपनी सारी जवानी का रस निकाल देते हैं। मेरा यहाँ पर कहने का यही मतलब है कि आप सब अपने बच्चों को सही दिशा ना दिखाते हुए वो जिस दिशा में चलना चाहते हैं उनका साथ दें और उनकी हर मुश्क़िल में उनकी मदद करें। वो बच्चे हैं और आप माँ-बाप हैं तो माँ - बाप का असली फ़र्ज़ यही होता है।


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बच्चों से सम्बंधित किसी भी तरह की परेशानी का आसान हल जानने के लिए आप हमें हमारी ईमेल पर अपनी समस्या लिख़कर भेज सकते हैं। हम आपको आपकी परेशानी का हल भेजने की पूरी कोशिश करेंगे। 


 ईमेल:- rkmahiblog@gmail.com

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