The Child Is
Emotionally Sensitive
बच्चा भावनात्मक रूप से
संवेदनशील है
किसी अजनबी के साथ
बच्चों का लगाव घातक
बच्चों को प्यार देना और उनके साथ खेलना, कूदना और तोतली ज़ुबान में बातें करने में आध्यात्मिक आनंद से भी अधिक आनंद आता है। बहुत से माँ-बाप एक ग़लती करते हैं कि पहले-पहले जब बच्चा पैदा होता है तो उनका मोह बच्चे में ज़्यादा होता है क्यूंकि हर लड़की या लड़के का ये भी एक सपना होता है कि वो माँ या पिता के सुःख का भी अनुभव करे और अपने बच्चे को बड़ा होते हुए देखे। आप यक़ीन मानिये ज़िन्दग़ी के इस हिस्से का आनंद लेने में प्रकृति और भी ख़ूबसूरत लगती है ज़िन्दग़ी के साथ। मैं बात का रहा था कि जैसे-जैसे माता-पिता अपने बच्चे के साथ वक़्त गुज़ारते जाते हैं वैसे-वैसे उनका ध्यान और उनका बच्चे के प्रति सुचेत रहना कम होता जाता है। ऐसा इस लिए होता है कि आज के जीवन की जो गति है, वो बहुत ज़्यादा तेज़ है और इंसान कछुए की तरह धीमा चलता है। ऐसे में बच्चे बड़े होते-होते अकेलापन महसूस करते हैं और उन लोगों की तरफ़ ज़्यादा आकर्षित हो जाते हैं जो व्यक्ति या औरत उससे निरंतर मिलता है या मिलती है, ढेर सारी बातें करती है, उस बच्चे को चॉकलेट देती है। वो मर्द या औरत वो सारे काम करती है जो एक बच्चा चाहता है कि चौबीस घण्टे उसके साथ कोई प्यार भरी शरारतें करता रहे। मग़र आज सोशल मीडिया का इतना ज़्यादा बुख़ार औरतों और मर्दों पर है कि वो अपनी वास्तविकता को भूलकर एक अलग दुनियां में ही घूमने लग जाते हैं। बच्चा फ़िर क्या करेगा, वो भी किसी ना किसी को खोजेगा, ख़ुद से बातें तो बच्चा अब सारा दिन नहीं कर सकता। ऐसे में बच्चे किसी ऐसे अजनबी की तरफ़ अपना झुकाव कर लेते हैं जो उनके लिए अनुकूल है। धीरे-धीरे बच्चा, माँ-बाप की पहुँच से दूर निकलता जाता है। उसे ये तो पता होता है कि उसके माता-पिता कौन हैं लेकिन उसके लिए फ़िर माता-पिता मात्र एक औपचारिकता ही रह जाते हैं। कई बार तो बच्चे अपने माँ-बाप को उल्टा जवाब देना शुरू कर देते हैं। हालांकि इसमें दुसरे व्यक्ति का कोई दोष नहीं होता क्यूंकि अगर कोई बच्चा उसके साथ खेलना चाहता है और उसके पास इतना वक़्त भी है जो वो उसके साथ बिता सकता है तो इसमें उसका कोई दोष नहीं है। ऐसे में बच्चो की मानसिक स्थिति पर अजनबी व्यक्तियों का प्रभाव बहुत ज़्यादा और अटल पड़ता है। बच्चा तो मानो फ़िर यही समझने लगता है कि उसके अपने माता- पिता तो उसके साथ वक़्त नहीं गुज़ारते तो अब जो उनके साथ बातें कर रहे हैं वो लोग ही ज़्यादा अच्छे लोग हैं।
The Child Is
Emotionally Sensitive
बच्चा भावनात्मक रूप से
संवेदनशील है
ऐसी घटनाओं का बच्चो पर प्रभाव
ऐसे बहुत से दुष्प्रभाव जो आपके बच्चो पर अजनबी लोग या तो छोड़ जाते हैं या फ़िर उनकी कुछ ऐसी आदतें आपके बच्चों में आ जाती हैं जो आपको पसंद नहीं होतीं। इस तरह की लापरवाही करने से माता-पिता को बहुत भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है। आपके बच्चे का अपहरण हो सकता है, उसका शारीरिक शोषण हो सकता है। और अगर आप अपने बच्चों को एकदम अचानक से ये सब छोड़ने के लिए कहेंगे तो आपका बच्चा किसी मानसिक रोग से ग्रस्त भी हो सकता है। बच्चों की सोच, उनके अंग और उनके विचार बहुत ही नाज़ुक होते हैं। पर माँ-बाप सिर्फ़ यही सोचते हैं कि ये तो उनका अपना पैदा किया हुआ बच्चा है, भला दूसरा कोई उसके बारे में इतना कैसे जान सकता है। यहाँ पर आपको ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है, स्कूल में आप बच्चों के साथ नहीं होते, अगर आपका बच्चा ट्युशन Tution पढ़ता है तो आप वहाँ भी उसके साथ नहीं होते हैं। ऐसे में थोड़ा-थोड़ा करके बच्चों की ज़िन्दग़ी का एक बहुमूल्य वक़्त आपकी नज़रों से छिपा रहता है। हमेशा ये बात अपने दिमाग़ में रखें अगर आपका बच्चा किसी अजनबी के प्रति प्रेम की भावना रखता है तो उसे डांटकर ना समझाएं सिर्फ़ उसकी देखरेख करें ताकि उसे कोई नुकसान ना हो। मैंने ऐसा इस लिए नहीं कहा कि कोई आपके बच्चे को नुक़सान पहुंचा ही देगा। मेरे कहने का मतलब है ऐसी संभावनाएं ज़्यादा होती हैं और यहाँ पर आपको बच्चे का विश्वास जीतना है और वो भी प्यार से।
Child Very Sensitive
To Sounds
बच्चा ध्वनि के प्रति बहुत संवेदनशील है
बच्चों को ख़ुश रखने के लिए ये करें
देखिये आप बच्चों
का ध्यान तो
ख़ुद रखने में
सक्षम हैं पर
आप जो लापरवाही
कर देते हैं
उससे आपको बचने
की बहुत ज़्यादा
ज़रूरत होती है।
बच्चों को ख़ुश
रखने के लिए
आप नीचे लिखी
हुई चीज़ें कर
सकते हैं जो
इस प्रकार हैं
: -
1. रोज़ अपने बच्चो को किसी ना किसी धार्मिक स्थान पर लेकर जाएँ, बजाए इसके कि वो पार्क में जाने की ज़िद को पैदा ना कर सकें।
2. बच्चो को हमेशा शाकाहारी भोजन ही खाने के लिए प्रेरित करें। अग़र आप किसी पांच साल के बच्चे को बचपन से ही अण्डों का सेवन करना सिखा रहे हैं तो ये उनके विचारों को बड़े होते-होते हिंसक रूप दे देगा। जैसे शेर सिर्फ़ मांस ही खाता है और वो इस लिए इतनी हिंसक प्रवृति का होता है और वो अपने बच्चो को भी यही खाना देते हैं। ऐसा नहीं है कि उनमें दया भावना नहीं होती लेकिन वो अग़र जानवरों पर दया करेंगे तो भूख़े मर जायेंगे।
3. बच्चों को अच्छी भाषा का ज्ञान दें और हमेशा ये ध्यान रखें कि कोई भी उनके सामने गाली ना दे। इससे आपके बच्चों में ग़लत शिष्टाचार कि उत्पत्ति होती है और बार-बार उनके सामने गालियाँ निकालने से वो उन शब्दों को बहुत जल्दी ग्रहण करने लगते हैं क्यूंकि बुरी चीज़ों का असर होने में ज़्यादा समय नहीं लगता।
यही वो समय
होता है जब
आप छोटे बच्चों
को बहुत सी
अच्छी-अच्छी क्रियाएं करना
सिखा सकते हैं
जैसे नमस्ते करना,
उठना-बैठना, दांत साफ़
किये बिना कुछ
ना खाना ऐसी
बहुत सी अच्छी
बातें।
ऐसे और भी बहुत से काम होते हैं जो बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए माँ - बाप को करने पड़ते हैं।
बच्चों से सम्बंधित किसी भी तरह की परेशानी का आसान हल जानने के लिए आप हमें हमारी ईमेल पर अपनी समस्या लिख़कर भेज सकते हैं। हम आपको आपकी परेशानी का हल भेजने की पूरी कोशिश करेंगे।
ईमेल:- rkmahiblog@gmail.com
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