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बच्चे की देखभाल कैसे करें हिंदी में

How To Take Care 

Of Baby In Hindi

बच्चे की देखभाल कैसे करें हिंदी में

क्या बच्चे भगवान् का रूप होते हैं ?

 




सभी पाठकों को, माता - पिता को और जितने भी लोग हमारा ये ब्लॉग पढ़ रहे हैं उनको सादर प्रणाम। उम्मीद है आपने मेरे प्रणाम के उत्तर में कुछ नहीं बोला होगा। चलिए कोई बात नहीं। आपने ये बात काफ़ी लोगों और माँ-बाप के मुँह से सुनी होगी कि बच्चे भगवान् का रूप होते हैं और इस लिए इनका दिल कभी नहीं दुखाना चाहिए। मैं उन सभी माँ-बाप से ये पूछना चाहता हूँ जो ये मानते हैं कि बच्चे जो हैं वो भगवान् का रूप होते हैं वो दिन में कितनी बार भगवान् की पिटाई करते हैं ? अपने जवाब आप मुझे ईमेल के ज़रिये दीजिये। अब बात मैं ये समझाना चाहता हूँ आप सब को, कि बच्चों को अग़र हम बच्चे समझकर ही पालें तो हम उनकी देखभाल अच्छे ढंग से कर सकते हैं क्यूंकि बच्चे भगवान् की दी हुई अनमोल धरोहर होते हैं चाहे लड़का हो या लड़की दोनों को ही बड़े तरीके से पालना पड़ता है। किसी अठारह साल के नव-युवक को शारीरिक तौर पर समझने की ज़रूरत नहीं पड़ती क्यूंकि वो बोलने और हर तरह की क्रिया करने में सक्षम होता है। लेकिन बच्चों को मानसिक और शारीरिक दोनों दृष्टि से समझना बहुत ज़रूरी होता है। बचपन में जब बच्चे रोते हैं, ख़ास तौर पर नव-जन्में बच्चे, तो ज़्यादातर ये समझा जाता है कि वो भूखे हैं और उनकी माँ उन्हें दूध पिलाने की कोशिश करती है। अग़र तो बच्चा दूध पीने लग गया तो इसका मतलब वो भूखा था और इसी लिए रो रहा था। जैसे-जैसे एक माँ अपने नव-जन्में बच्चे के साथ वक़्त बिताती जाती है उसे बच्चे की मानसिक और शरीरिक भाषा का ज्ञान होना शुरू हो जाता है और जब भी बच्चा कोई जानी पहचानी हरक़त करता है तो माँ को ये पता चल जाता है कि वो क्या चाहता है।


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शिशु देखभाल युक्तियाँ

एक बच्चे के जन्म से लेकर पांच साल की आयु तक का समय बहुत ही संवेदनशील होता है।

 


जब कोई बच्चा पैदा होता है तो उसे अपनी एक साल की आयु तक की कोई बात याद नहीं होती। लेकिन जब बच्चा अपनी आयु के दुसरे वर्ष में क़दम रखता है तो उसकी इन्द्रियां उसे ये बताना शुरू कर देती हैं कि कौन उसके लिए सही है और कौन उसके लिए ग़लत। लेकिन इस बात का निर्णय भी बच्चा अपनी सूझ - बूझ से लेने में सक्षम नहीं होता, उसे सिर्फ़ अनुमान मात्र होता है कि ये - ये चीज़ हो सकती है। आप जब किसी एक से दो साल के बच्चे को पहली बार मिलते हैं तो वो आपके पास आने से हिचकिचायेगा। क्यूंकि वो आपको नहीं जानता। अग़र आप उस बच्चे को ज़बरदस्ती उठा लेते हैं क्यूंकि वो बच्चा बहुत प्यारा है और आप उसके साथ खेलना चाहते हो यहाँ मेरा उठाने से मतलब है गोद में उठाना, अपहरण ( Kidnap ) करना नहीं। तो आप देखेंगे कि आपके उठाने से उस बच्चे को सुचेत करने वाली इन्द्रियां जागृत हो जाती है और वो रोने लगता है, ज़्यादातर बच्चे अपनी माँ को पुकारते हैं क्यूंकि वो अपनी माँ के हाथों में ख़ुद को ज़्यादा सुरक्षित समझते हैं। या फ़िर कुछ बच्चे तो अपनी सांस तक रोक लेते हैं डर के मारे। ऐसे में आपको बच्चो को नहीं उठाना चाहिए, क्यूंकि इससे होगा क्या, वो बच्चा आपके पास कभी भी नहीं आएगा चाहे आप उसे ज़माने भर के ख़िलौने लाकर दे दीजिये। कई बार तो ऐसे बच्चे अपने पिता के पास तक नहीं जाते। आप ऐसी प्रस्थिति में एक काम कर सकते हैं जब वो बच्चा अपनी माँ के पास हो उसके पास जाकर उससे बनावटी बातें कीजिये और उसको उठाने की कोशिश मत कीजिये। अपना पर्स निकालकर उस बच्चे के सामने रख दीजिये और आप देखेंगे कि वो बच्चा आपके पर्स को खोलने की कोशिश कर रहा है। ऐसे ही दो-तीन दिन बच्चे के आसपास रहिये और सिर्फ़ उससे बातें कीजिये और आप ये देखेंगे कि बच्चा आपकी तरफ़ अपने आप आकर्षित होने लग जायेगा। असल में इस उम्र में बच्चों को समझने की ज़्यादा ज़रूरत होती है और इसी बात पर उनकी बुद्धि का विकास निर्भर होता है। पांच साल की आयु तक आते-आते लगभग हर बच्चा सारे शब्दों का उच्चारण सही ढंग से करने लग जाता है और उसे पैसों का, रूठने का, चालाकी करने का इन सब बातों का बहुत अच्छे तरीके से ज्ञान हो जाता है और यही वो उम्र होती है जब माँ-बाप द्वारा उनके लिए, लिए गए फ़ैसलों का उनकी उनके दिमाग़ और मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इस उम्र में माँ-बाप जो भी फ़ैसला अपने बच्चों के लिए करें उस फ़ैसले के ऊपर बच्चों की क्रिया, प्रभाव और हरक़तों को बड़े ग़ौर से देखने की ज़रूरत है।अग़र आपके बच्चे काफ़ी दिनों तक आपके किसी फ़ैसले से नाराज़ हैं और ठीक से कुछ खा-पी भी नहीं रहे तो ऐसे में अपने फ़ैसले को तुरंत बदल दें। बच्चों की उम्र का ये पड़ाव बहुत ही ज़्यादा संवेदनशील होता है। तो इस लिए भी हर माँ-बाप को इस उम्र के बच्चों के लिए ज़्यादा सतर्क रहना चाहिए।


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बच्चे की देखभाल

कैसे करें हिंदी में

What Should My 

Baby's Name Be?

मेरे बच्चे का नाम क्या होना चाहिए?

बच्चों का नाम कैसा होना चाहिए ?

 

वैसे तो बच्चों के नाम ऱखना कोई कठिन बात नहीं है लेकिन फ़िर भी बहुत से माँ-बाप बच्चे के जन्म के बाद इसी उलझन में पड़े रहते हैं कि बच्चे का नाम क्या रखा जाए। देखिये आप कोई भी अच्छा नाम रख सकते हैं, उदाहरण के लिए आपने अपने बच्चे का नाम 'महाराज राम' के नाम पर 'राम रख दिया। लेकिन बड़ा होकर आपका वही बच्चा नशा कर रहा है, जूहा ख़ेल रहा है और कभी-कभी आपको शराब पीकर गालियां भी देता है। अब मेरा यहाँ आप सब से सवाल है कि आपने जो अपने बेटे का नाम 'महाराज राम' के नाम पर 'राम ' रखा था क्या उसका आपके बेटे के ऊपर कुछ अच्छा प्रभाव पड़ा ? आपका जवाब होगा जी नहीं वो तो बहुत ज़्यादा बिगड़ गया है। तो मैं यहाँ ये कहना चाहूंगा, आप बच्चे का कुछ भी नाम रख दीजिये। उसका उसके कर्मों से कोई लेना देना नहीं होता। आप कुछ भी अच्छा सा नाम रख दीजिये जिसका एक सरल मतलब हो, जैसे कि रवि मतलब सूर्य, अमर मतलब कभी ना मरने वाला ऐसे ढेरों नाम हैं। लेकिन आप अगर कोई अलग नाम ऱखना चाहते हैं तो आप मेरे इसी ब्लॉग पर मेरी अगली पोस्ट का इंतज़ार कीजिये जिसमें मैं बहुत ही अलग और अच्छे नामों की सूची तैयार करके दूंगा। अपने बच्चों की देखभाल और कैसे अच्छे ढंग से करें, ये सब जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ और पढ़ते रहिये 'रमनीत कौर माही एम बेबी केयर' ब्लॉग।


बच्चों से सम्बंधित किसी भी तरह की परेशानी का आसान हल जानने के लिए आप हमें हमारी ईमेल पर अपनी समस्या लिख़कर भेज सकते हैं। हम आपको आपकी परेशानी का हल भेजने की पूरी कोशिश करेंगे। 


 ईमेल:- rkmahiblog@gmail.com

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